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सफर - मौत से मौत तक….(ep-31)







आज सुबह सुबह समीर थोड़ा परेशान था। शाम को इशानी ने कहा था पापा को समझाने के लिए, लेकिन पापा को समझाए तो क्या समझाए….और कैसे समझाए……बेचारे के खुद समझ नही आ रहा था कि असली परेशानी है क्या, शादी हुए महीना भर हुआ था, पापा कभी कुछ नही बोलते होंगे जबकि खुद का काम खुद ही करते है तो भला काम के लिए क्यो इशानी को कहेंगे, पुष्पा के होते हुए इशानी से काम तो नही कराते होंगे, हाँ खाना पकाना सीखने की सलाह जरूर देते होंगे, क्योकि समीर जानता था की वो ये राय उसे भी देते थे, लेकिन होस्टल से महीने का टिफिन समीर ने लगाया था उसे कहाँ कभी सीखने की जरूरत पड़ी….कभी कभी टिफिन वाला नही आता था तो खुद चला जाता था समीर किसी रेस्टोरेंट में।
  
  अभी इशानी सोई हुई थी, नंदू खुद सुबह सुबह पौधों को पानी देने में व्यस्त था, समीर के ड्यूटी जाने का वक्त भी हो चला था, एक ही घर मे तीन लोग और सुबह नाश्ता करने का और उठने का तीनो का टाइम अलग अलग था। हाँ नंदू ये सोचकर बहु के टेबल पर आने के बाद नाश्ता करने शुरू करता था ताकि वो बेचारी अकेले ना पड़ जाए,मगर वो बेचारी को तो ये बात भी पसंद नही थी,

अभी समीर पापा का पौधों को पानी देकर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। जब पापा ना आये तो वो ऊपर ही चले गया, आज से पहले नंदू चार महीने पहले आया होगा छत में….छत में खिले हुए रंग बिरंगे फूल देखकर नंदू थोड़ा हैरान था, बिल्कुल फुलवारी बन चुकी थी छत….

"पापा ये तो जबरदस्त खिले हुए है, चारो तरफ हरियाली और खुशबू , कितना सुंदर लग रहा है ना" समीर ने कहा।

नंदू कुछ बोलता की पास खड़े नंदू अंकल बोल पड़े जो किसी ने नही सुना- "बेटा मेहनत और प्यार दोनो बेशुमार मिला है इन पेड़ों को, तब जाकर ये कलिया खिली है, सारा दिन इन पेड़ों से बात करता है नंदू, इनके साथ सुबह और अपनी शाम बिताता है, सुंदर और हरियाली तो होगी ही,बचपन मे तुझे प्यार  दिया तो आज तू भी तो एक सुंदर और खूबसूरत पेड़ बन गया था। अब अपने हिस्से का प्यार तो तू किसी और से ले रहा, इन्हें जो देना है तुझे नही दे पा रहे तो किसी को तो देना पड़ेगा"

नंदू मुस्कराते हुए पीछे मुड़ा और बोला- "बस लगा रहता हूँ इनमें….आज खिल गए तो कल मुरझा जाएंगे,"

"फिर नए खिल आएंगे…. अगर इनकी देखभाल करते रहेंगे तो हरियाली हमेंशा बनी रहेगी" समीर ने कहा।

"नही बेटा, ये जब बड़े हो जाएंगे फिर इन्हें देखभाल की जरूरत महसूस ही नही होती। अपने मन से ही फूल खिलाएंगे और उन्हें मुरझने के लिए छोड़ देंगे…." नंदू बोला।

"कितने बड़े हो जाये भले….लेकिन एक माली की जरूरत इन्हें हमेशा होती है, कभी पानी की जरूरत तो होगी ही और कुछ ना सही" समीर बोला।

"यही बात मैं इशानी को समझाने की कोशिश कर रहा था कि बच्चे कितने भी बड़े हो जाये, उन्हें कोई डाँटने वाला तो चाहिए, गलत काम करने से रोकने वाला और सही काम करने पर तालिया बजाने वाला तो चाहिए ही, लेकिन वो समझती है कि मैं उसे पसंद नही करता इसलिये बोलता हूँ" नंदू बोला।

"लेकिन आप मुझे भी बता सकते है कि उसने क्या गलत किया….उसे मैं अपने तरीके से समझा दूँगा….आप बड़े हो आपकी बात का बुरा लग जाता है उसे" समीर बोला।

"बुरा हमउम्र और अपने से छोटे के डाँटने में लगता है, वो भी गलती ना हो तो….अगर कोई बड़ा डाँट रहा है तो जरूर कोई गलती होगी, अपनी नजर में ना सही उसके नजर से होगी, इसलिए डाँट खाते समय डाँटने वलें की नजर से भी एक बार देखना चाहिए"  नंदू बोला।

लेकिन उसने ऐसा क्या किया , वो ऐसा काम क्या करती है जो हर बात पर टोकते हो उसे" समीर बोला।

"चप्पल पहनकर मंदिर में चली जाती है, अब उसे चप्पल खोलकर जाया करो बोलना छोड़कर शाम को तुझसे शिकायत लगाऊं की वो चप्पल पहनकर मंदिर को छू लेती है…. बच्चो की तरह हरकत नही कर सकता मैं….और मेरी गौरी की तस्वीर….मैंने बाहर ड्राइंग रूम में लगाई थी जुसमे माला लगाई थी, उसे ले जाकर मेरे कमरे में टेबल पर लेटाकर रख दिया, जब मैंने पूछा कि अंदर क्यो रख दिया तो बोलती है बाहर कोई अच्छी तस्वीर लगाएंगे, किसी खास तरह की पेंटिंग….वैसे भी पर्शनल तस्वीरे पर्शनल कमरों में अच्छी लगती है।
मैंने कहा चलो ठीक है, मेरी गौरी मेरी पर्शनल है, लेकिन तस्वीर को दिवार के सहारे खड़ा तो रख लेती। तस्वीरों को लेटाकर रखना अशुभ माना जाता है, इतनी सी बात पर नाराज हो गयी।" नंदू ने तीन चार बात बताई  तो समीर ने कहा - "पापा वो कुछ गलत काम करती है तो मुझे बता दिया करना, प्लीज उसे कुछ मत कहना….मेरा समझाना और आपके डाँटने में फर्क है"

"थी है बेटा….मैं उसे कुछ बोलूँगा ही नही….खुश…." कहते हुए नंदू अगले गमले में पानी डालने लगा।

समीर कुछ और बोलता की उसकी नजर अपने कलाई पर बंधे घड़ी पर पड़ी- "अभी मुझे आफिस के लिए देर हो  रही है….मैं चलता हूँ,  प्लीज उसकी बातों का भी बुरा मत मानना, वो सामने बोल देती है, लेकिन दिल मे कुछ नही रखती दिल की साफ है वो" समीर ने कहा।

"तुम जाओ आफिस, उसकी फिक्र मत करो….उसे सताता नही है कोई, नया माहौल है, ढलने में वक्त लगता है।" नंदु ने कहा।

"कभी कभी माहौल बदल लेना चाहिए किसी की खुशी के लिए….जिस तरह ये फूल खिले है, इसी तरह अगर चेहरे भी खिले खिले रहे तो अच्छा लगता है।" समीर कहते हुए चला गया।

"बाते तो बड़ी बड़ी करने लगा है मेरा बेटा" नंदू ने जाते हुए समीर को देखते हुए खुद से कहा।

बगल में खड़ा नंदू अंकल बोला- "किसी की खुशी के लिए माहौल बदल देना चाहिए, देख तेरे बेटे….सॉरी हमारे बेटे……हम दोनों का ही बेटा हुआ ना वो….हां देख हमारे बेटे के हाल……किसी एक खुशी के लिए माहौल को बदल देना चाहता है, उसे नही पता कि माहौल बदलने से कितनो की खुशियां बर्बाद होंगी…."

नंदू खुद ही बडबडा रहा था, लेकिन इस वक्त उसने ऐसा कुछ कहा की नंदू अंकल को लगा उसके सवाल का जवाब दिया होगा

"आज से में बहु से कुछ नही कहूँगा….बस ऐसी बात करूँगा जो उसे पसन्द हो…. जिससे वो खुश रहे, ….ऐसी बात दिमाग मे आयी तो ठीक….नही तो खामोश रहूँगा" नंदू ने खुद से कहा। और अगले फूल कि तरफ पानी लेकर चल पड़ा।


        *****


अब नंदू ने बहु को टोकना बन्द कर दिया था, कभी गलती से कुछ कह भी देता तो तुरंत माफी मांग लेता था।,  शाम को 6 बजे समीर आता और उसके बाद मियाँ बीबी सैर पर चले जाते थे, क्योकि उनका मानना था कि सैर सेहत के लिए आवश्यक है।

"हाँ सोचा तो तुमने बहुत अच्छा है, लेकिन सुबह के छह बजे जाते तो ये और अच्छी बात होती, देर तक सोने की आदत भी छूट जाती, और शाम का वक्त बच जाता, और सेहत तो सुबह की ताजी हवा से बनती है, शाम तक तो हवा जहर बन जाता है।" नंदू ने कहा।

"पापा! आप यहाँ भी शुरू हो गए.……सुबह सुबह नही उठा जाता….नींद का मजा तो सुबह उठकर दोबारा सोने में है, रात की नींद भी कोई नींद है " समीर बोला।

"बेटा शाम को छह साढ़े छह बजे जाते हो, और नौ बजे तक आते हो, इंतजार करते रहे जाता हूँ अभी आएंगे, फिर खाना
खाएंगे….सुबह तो हमारा अलग अलग टाइम है खानाखाने का, कम से कम शाम का समय तो एक साथ रखो,सब एक साथ मिलकर बैठकर खा सके।"  नंदू बोला।

"आपको भूख लगे तो खा लिया करो ना पापा, हमारा कोई भरोसा भी नही, क्या पता कभी बाहर से ही खाकर आ गए, हमारे चक्कर मे आप क्यो भूखे रहते हो" समीर बोला।

नंदू समीर को बोलते हुए देखता रह गया। बड़ी अजीब बात बोल दिया था कि हमारे चक्कर मे आप क्यो भूखे रहते हो…. अब इसे अगर नंदू ये कहता कि तेरे फीस के चक्कर मे दो दो दिन तक भी भूखा रहना पड़ता था तो उसे यकीन नही आएगा, खैर ये बात उसे बताने वाली नही थी, कौन सा समीर की गलती है, उसने तो बस होस्टल से फोन किया होता था कि मुझे पैसे चाहिए, उसने ये थोड़ी कहा कि आप ना खाकर भूखा रहकर दो।

"चलो खाने को तो भूख होगी तो मैं खा लूँगा, लेकिन कार लेकर कौन जाता है सैर करने, सैर का मतलब पैदल चलना होता है" नंदू बोला।

"पापा हम गार्डन तक जाते है कार में, उसके बाद पार्क में चक्कर लगाते है, अब यहाँ से पार्क कौन जाए पैदल, चलो चले भी जाएंगे तो आते समय तक थक जाते है, आने में नही आया जाएगा" समीर बोला।

"तुम क्यो बहस कर रहे हो समीर….मैंने कहा है इनकी आदत है बहस करना,  पहले सुबह जल्दी उठो बोलने लगे, बात नही बनी तो शाम को एक साथ खाना खाने का बहाना लगाने लगे, और जब वहाँ भी इनकी दाल नही गली तो अब कार ले पीछे पड़ गए।" इशानी बोली और उठकर अंदर चली गयी।

समीर गर्दन झुकाए बैठा रहा, और नंदू समीर की झुकी गर्दन किये बैठे अपने बहु के पति को देख रहा था। उसका बेटा तो अब वो रहा नही था।

नंदू मन ही मन सोच रहा था, भले मेरे बाबूजी कभी किसी को डांटते पीटते नही थे, लेकिन अगर गौरी शादी के पांचवे छठे महीने में ऐसा कुछ बोलती तो उसके बाल पकड़ कर घर से बाहर का रास्ता दिखा देते, प्यार तो मैं भी करता था गौरी से, और हद से ज्यादा करता था, करता था नही करता हूँ….क्योकि प्यार कभी मरता नही….लेकिन कभी उसकी गुलामी नही की… उसे डांटा भी और प्यार भी दिया। कभी कभी डाँट खाई भी। लेकिन उसके गलत बात पर उसका साथ नही दिया।
  मैं भगवान से अगले हर जन्म में गौरी को मांगता हूं, क्योकि वो सिर्फ अच्छी पत्नी नही एक अच्छी बहु भी थी, घर मे बेटी की तरह रहती थी। और डाँट सहती भी थी, गलत बात के खिलाफ बोलती भी थी तो इतने प्यार से की सामने वाले को खुद एहसास हो जाता था। मेरे पापा के लिए तो मैं पराया हो होंने लगा था गौरी ने इतना सम्मान और प्यार दिया था उन्हें। मरते समय भी मुझे नही उसे पुकार रहे थे। काश मुझे पुकार लेते…. गौरी को बुलाकर अपने साथ ले जाने की क्या जरूरत थी….मुझे ले चलते….लेकिन आपको तो ख्याल रखने वाली चाहिए थी। ये भी नही सोचा कि मेरा ख्याल कौन रखेगा, हर किसी को आपकी जैसी बहु थोड़ा मिलेगी।


**********


कुछ दिन ही बीते थे, सबके असली चेहरे और असली रंग नजर आने लगे थे, नंदू को ऐसा एहसास होने लगा था कि जैसे घर के छत में गमले है, वैसे ही वो खुद भी है,क्योकि दोनो के होने का एहसास सिर्फ नंदू को था, इशानी छत में जाती थी तो सिर्फ सेल्फी लेने और स्टेटस लगाती थी #माय होम गार्डन , नाइस प्लेस, आई लव फ्लावर, बस इतना ही मतलब था छत से। और बेटे ने कसम ही खाई थी छत में जाने के लिए। ठीक उसी तरह जब बहुत जरूरी काम हो तो ही नंदू से बात होती थी, समीर ही बात करता चाहे काम बहु का हो या उसका अपना , इशानी ने तो कट्टी कर रखी थी नंदू से,उस इस फैसले से इशानी खुश थी,क्योकि नंदू भी उसे टोकता नही था।

एक दिन समीर के ऑफिस मे पार्टी थी, समीर को परिवार समेत बुलाया था।

"पापा आज हम पार्टी में जाएंगे, शाम को पुष्पाकली को मना कर दो आने के लिए….वो क्या करेगी आकर"  समीर ने पापा को आफिस से फोन करके कहा।

"लेकिन तुम पार्टी में जाओगे ना, मैं तो घर ही हूँ, वैसे बहु कौन सा रोज घर पर खाते हो, हफ्ते में तीन दिन तो बाहर ही खाते हो" नंदू बोला।

"हम में आप भी आते हो….मैं और इशानी ही नही आप भी हमारे साथ चलोगे….आपको भी थोड़ा घूमना फिरना चाहिए कि नही, सब जगह हम अकेले जाएंगे तो आप कहाँ जाएंगे, चार लोगों के बीच आओगे तो कम से कम पहचान बढ़ेगी" समीर बोला।

"पहचान तो मिटती जा रही है बेटा, अपने घर मे तो कोई पहचान नही रहा" नंदू बोला।

"फिर वही बात….आप इशानी को लेकर इतना परेशान क्यो रहते है, ना करना तो ना करे बात….मैं तो करता हूँ ना" समीर बहुत प्यार से बोला।

"तुझे भी कहाँ होता है टाइम….चल जो भी है ठीक ही है….बता देना मुझे कब जाना है।" नंदू बोला।

"शाम को मैं आप दोनो को लेने आऊंगा….तैयार होकर बैठ जाना" समीर ने कहा।

"ठीक है……." नंदू ने कहा ।

अब नंदू ने समीर के फोन कटने के बाद पुष्पाकली को फोन किया और आज की छुट्टी दे दी। पुष्पाकली बहुत खुश हो गयी। आज बच्चो के साथ रहेगी, उनके साथ बैठकर खाएगी, क्योकि रोज तो शाम को चार बजे उनके लिए खाना पकाकर वो काम पर आ जाती थी, और बच्चे शाम को खाना खाकर पुष्पा के आने तक एक नींद पुरी कर लेते थे।

नंदू अंकल ने जब पुष्पा की खुशी देखी तो मंद मुस्कान छोड़ते हुए कहा-


"तेरी ये खुशी में आज
उनकी भी खुशी शामिल है बेशक।
मगर सिर्फ आज ये खुशी तेरी होगी
कल इनपर होगा किसी और का हक।
मेरी जैसी दास्तां खुदा ना करे तेरी हो
इन सबकी तरह थोड़ा गुनेहगार
ज़रा सा कातिल तुम भी मेरी हो


ये लफ्ज़ नंदू अंकल के थे। जो इस वक्त पुष्पाकली की खुशियों में नजर रखे मुस्करा रहे थे।

कहानी जारी है, 

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4 Comments

Niraj Pandey

07-Oct-2021 02:04 PM

बेहतरीन भाग👌

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Shalini Sharma

01-Oct-2021 01:13 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

29-Sep-2021 04:58 PM

बहुत ही खूबसूरत भाग..

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